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@vishal.hindaun9/29/20, 12:00 PM. Karauli
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हिण्डौन सिटी।विश्व हृदय दिवस के अवसर पर मंगलवार को राजकीय चिकित्सालय में स्वास्थ संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. नमोनारायण मीना ,एनसीडी क्लीनिक के प्रभारी डॉ. आशीष कुमार शर्मा ,सोनोलॉजिस्ट डॉ. मनोज गर्ग ,कोविड-19 फील्ड प्रभारी डॉक्टर दीपक चौधरी एनसीडी क्लीनिक इंचार्ज अखिलेश मंगल तथा निशांत कटारा के साथ अस्पताल के अन्य चिकित्सक एवं मरीज उपस्थित रहे। इस दौरान डॉ आशीष शर्मा ने बताया की हृदय रोग आजकल बहुत कम उम्र में भी होने के साथ जानलेवा भी है ।उन्होंने बताया कि हिंडौन शहर में पिछले वर्ष में लगभग 10 व्यक्ति 40 से कम की उम्र में हृदयाघात की चपेट में आ चुके हैं सामान्यतया हृदय रोग पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक होता है तथा उम्र बढ़ने के साथ-साथ इसके होने की संभावना बढ़ती चली जाती है। ह्रदय रोग के लक्षणों के बारे में विस्तार से बताते हुए यह निकल कर आया कि छाती में दर्द होना या पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द होना ,घबराहट होना चलने पर थकान होना या बहुत तेज पसीने आना इस तरह के लक्षण सामान्यतया हृदयाघात में देखने को मिलते हैं। छाती का दर्द अगर बाएं हाथ की तरफ जाता है तो हृदयाघात की संभावना बढ़ जाती है । रिस्क फैक्टर को पहचानना जरूरी है हृदयाघात के लिए सारी के रूप से निष्क्रिय मनुष्य कोलेस्ट्रोल की अधिकता वाले लोग डायबिटीज ,धूम्रपान करने वाले लोग या फिर घर में किसी अन्य व्यक्ति को हृदय रोग होने पर इसका जोखिम बढ़ जाता है। हाई ब्लड प्रेशर होने पर भी हृदयाघात का रिस्क बढ़ जाता है हार्ट अटैक के लक्षण आने पर व्यक्ति को शारीरिक एक्टिविटी नहीं करनी चाहिए तथा एस्प्रिन टेबलेट अगर उपलब्ध हो जाए तो तुरंत ले लेनी चाहिए ।लंबी गहरी सांस लेनी चाहिए । शुरुआती समय सबसे महत्वपूर्ण है हृदयाघात के मरीजों में यह देखने में आया है कि शुरुआत के 4 से 6 घंटे इनके इलाज के लिए सबसे क्रिटिकल होते हैं इनमें से भी प्रथम घंटे को गोल्डन आवर माना गया है अगर इस समय में रोगी को उचित चिकित्सकीय परामर्श उपलब्ध हो जाए तो उसकी हरदे की मांसपेशियों में होने वाली क्षति को रोका जा सकता है 12 घंटे के बाद मिलने वाले इलाज से हृदय की मांसपेशियों की क्षति स्थाई हो जाती है तथा मरीज को जीवन भर इसके दुष्प्रभावों को सहन करना पड़ता है उन्होंने बताया कि नियमित रूप से न्यूनतम 30 मिनट की एक्सरसाइज अवश्य करनी चाहिए ।अपने भोजन में वसा की मात्रा न्यूनतम रखनी चाहिए रेशे वाले पदार्थ जैसे कि अंकुरित अनाज गाजर मूली संतरा मौसमी आदि प्रचुर मात्रा में लेनी चाहिए रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट जैसे कि शुगर आइसक्रीम इत्यादि का प्रयोग न्यूनतम करना चाहिए अपने शरीर के चेकअप नियमित रूप से करवाते रहना चाहिए तनाव मुक्त जीवन जीना चाहिए एवं थोड़ा सा भी संशय होने पर चिकित्सक से संपर्क कर कर उचित इलाज लेना चाहिए

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